वैज्ञानिकों ने खोज ली ऐसी दवा जो बूढ़े को कर देगी जवान
नई दिल्ली (जीरो लाइन नेटवर्क) आज की दुनिया में चमत्कार को विज्ञान भी कह सकते हैं। वैज्ञानिक अपनी तरह-तरह की रिसर्च से हमेशा हमें चौंकाते रहते हैं। अबकी बार वैज्ञानिकों ने ऐसी दवा को खोजने का दावा किया है कि जो हमारी उम्र को बढ़ा सकती है। यानी हमारी उम्र बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों की टीम ने लंबी उम्र की चाहत रखने वालों के लिए इस नामुमकिन से कार्य को मुमकिन कर दिया है। वैज्ञानिकों का इस दवा का उपयोग एक बूढ़े चूहे पर किया, जो दवा लेने के बाद जवान हो गया है। वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि प्रयोगशाला में पशुओं पर किए इस एक्सपेरिमेंट में हमने पाया है कि इस दवा से उनकी उम्र 25 प्रतिशत तक बढ़ सकती है और आशा जताई कि इंसानों पर भी इसका प्रयोग सफल होगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस नामुमकिन सी खोज को मुमकिन कर दिखाया है कि एमआरसी लैबोरेटरी ऑफ मेडिकल साइंस, इंपीरियल कॉलेज लंदन और सिंगापुर के ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने। उन्होंने दावा किया है कि इस दवा से पशुओं की उम्र 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है। उन्होंने प्रयोगशाला में इस दवा का प्रयोग एक बूढे चूहे पर किया जो बाद में चमत्कारिक रूप से जवान हो गया। वैज्ञानिकों ने इस चूहे को ‘सुपरमॉडल दादी’ नाम दिया है।
दवा लेने के बाद क्या असर हुआः वैज्ञानिकों ने रिसर्च और एक्सपेरिमेंट के बाद पाया कि जिस चूहे पर इस दवा का प्रयोग किया गया, वह न सिर्फ जवान हो गया बल्कि, अपनी नई उम्र वाले अन्य चूहों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ और मजबूत था। इसके अलावा उसमें कैंसर जैसे तत्व भी कम विकसित हुए हैं। वर्तमान में इस दवा का मनुष्यों पर परीक्षण किया जा रहा है, हालांकि वैज्ञानिक अभी इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि इस दवा के प्रयोग से इंसानों पर क्या साइड-इफेक्ट हो सकते हैं। बता दें कि लंबे जीवन की चाहत में हम लोग अपने खान-पान और दैनिक दिनचर्या में बदलाव लाते हैं। हम ऐसा मानते हैं कि उम्र बढ़ने के बाद अगर बुढापा स्वस्थ और बिना डॉक्टरी दवाई के पूरे करना है तो खाना कम और हेल्दी ही खाओ।
दवा कैसे काम करती हैः शोधकर्ताओं ने इंटरल्यूकिन-11 नामक प्रोटीन की जांच की। नेचर जर्नल में प्रकाशित उनकी रिसर्च के मुताबिक, उम्र बढ़ने के साथ इसका स्तर भी बढ़ता है। इससे शरीर में सूजन बढ़ती है और कई जैविक प्रक्रियाएं शुरू होती हैं जो उम्र बढ़ने को नियंत्रित करती हैं। अपने प्रयोगों में, शोधकर्ताओं ने सबसे पहले चूहों को आनुवंशिक रूप से ऐसे सशक्त बनाया ताकि उसके अंदर सेल्स इंटरल्यूकिन-11 बनाने में असमर्थ हो जाएं। दूसरे प्रयोग में, उन्होंने चूहों के 75 सप्ताह के होने तक (इंसान की उम्र के अनुसार लगभग 55 वर्ष) इंतजार किया। उसके बाद उसके शरीर से इंटरल्यूकिन-11 को खत्म करने के लिए नियमित रूप से दवा दी।