अब बख्शे नहीं जाएंगे ‘फर्जी’ डेंटिस्ट
नई दिल्ली (संवाद सहयोगी) देश में अब फर्जी डेंटिस्ट्स पर शिकंजा कसने वाला है। बढ़ती शिकायतों के बाद डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) आवश्यक चिकित्सा योग्यता के बिना डेंटिस्ट्स के रूप में काम करने वाले व्यक्तियों और ऐसे लोगों को रोजगार देने वाले क्लीनिकों पर शिकंजा कसने की योजना बना रही है। देश में डीसीआई के साथ रजिस्टर्ड 270,000 डेंटिस्ट्स हैं और ये संख्या दुनिया में सबसे अधिक है।
कानूनी कार्रवाई का दिया गया आदेशः डेंटिस्ट बोर्ड ने स्टेट डेंटिस्ट परिषदों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी व्यक्ति या व्यवसाय के खिलाफ डेंटिस्ट एक्ट 1948 और अपडेटड डेंटिस्ट (आचार संहिता) विनियम 2014 का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई करें और तुरंत काम बंद करने के आदेश जारी करें।
ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो दर्शाता हो कि डीसीआई या राज्य परिषदों ने पहले ऐसे व्यवसायों के खिलाफ कोई कार्रवाई की हो। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, “नियामक ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे बिना लाइसेंस वाले चिकित्सकों से डेंटिस्ट प्रक्रिया कराने से जुड़े खतरों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाएं। यह भी अनिवार्य किया गया है कि की गई कार्रवाई और प्राप्त परिणामों की पूरी रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर दी जाए। अप्रशिक्षित और अपंजीकृत कर्मियों का उपयोग करना डीसीआई के मान्यता प्राप्त उल्लंघनों में से एक है।”
डीसीआई ने पिछले हफ्ते डेंटिस्ट परिषदों को सूचित किया कि उसने देखा है कि कुछ क्लीनिक मरीजों के घरों पर उपचार, दांतों की स्कैनिंग और एलाइनर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। डीसीआई के आदेश में कहा गया है, “कथित तौर पर ये सेवाएं उन व्यक्तियों द्वारा की जा रही हैं जो संबंधित राज्य डेंटिस्ट परिषदों के साथ डेंटिस्ट के रूप में रजिस्टर्ड नहीं हैं।”
आचार संहिता पर जोरः इसमें कहा गया है कि अपंजीकृत चिकित्सक मरीजों की सुरक्षा और पेशेवर मानकों को खतरे में डालते हैं। इसमें कहा गया है, ”रोगी के स्वास्थ्य की सुरक्षा और पेशेवर मानकों का रखरखाव सर्वोच्च प्राथमिकता है।” इस कदम का दंत चिकित्सकों ने स्वागत किया। ग्रेटर नोएडा स्थित जीआईएमएस के डेंटिस्ट डॉ. राहुल सिंह ने कहा, ”यह एक अच्छा कदम है और सेवा देने वाले अप्रशिक्षित डेंटिस्ट्स की जांच की जानी चाहिए। डेंटिस्ट्स के अंतर्गत कई नई सेवाएं उभर रही हैं जो कॉस्मेटिक सेवाओं की तरह हैं और लोगों के बीच इसकी काफी मांग देखी जा रही है।”