ताइवान को वाशिंगटन करेगा खतरनाक ‘सुसाइड ड्रोन’ की डिलीवरी

अमेरिका। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. बीजिंग का कहना है कि ताइवान पर नियंत्रण के लिए अगर ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा तो भी वह इससे पीछे नहीं हटेगा. अमेरिका चीन के आक्रामक व्यवहार का सामना करने के लिए ताइवान की मदद करने पर पहले से अधिक जो दे रहा है. वाशिंगटन ने मंगलवार को ताइवान को 360 मिलियन डॉलर मूल्य के सशस्त्र ड्रोन और युद्ध सामग्री की बिक्री को मंजूरी दी. अमेरिकी विदेश विभाग (DOS) ने बुधवार (19 जून) को संकेत दिया कि ताइवान ने जिन स्विचब्लेड 300 लोइटरिंग म्यूनिशन और ALTIUS 600M-V मानव रहित एरियल व्हीकल का ऑर्डर दिया है, उनकी डिलीवरी इस साल से लेकर 2025 के बीच होनी तय है.
ड्रोन, जिनकी अनुमानित लागत 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, एंटी-आर्मर लोइटरिंग मिसाइल सिस्टम और संबंधित उपकरण, [जिनकी अनुमानित लागत 60.2 मिलियन डॉलर है], दरअसल 15वें हथियार बिक्री पैकेज का हिस्सा हैं जो यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन के प्रशासन के दौरान ताइवान को मिल रहा है.
क्या हैं सुसाइड ड्रोन?
विदेश विभाग ने मंगलवार को कांग्रेस को ताइवान को 720 स्विचब्लेड 300 और 291 एएलटीयूएस 600एम-वी की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री के लिए अपनी मंजूरी की सूचना दी. दोनों हथियार प्रणालियों को ‘सुसाइड ड्रोन’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है. ये दुश्मन के क्षेत्र के चारों ओर घूमने और निर्देश मिलने पर हमला करने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
सीएनए के मुताबिक बिक्री से जुड़े एक सवाल के जवाब में अमेरिकी राजनीतिक-सैन्य मामलों के ब्यूरो ने बुधवार को एक लिखित प्रतिक्रिया में कहा कि ‘दोनों की बिक्री 2024-2025 में डिलीवरी के लिए हैं.’ हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि 1,011 हथियार प्रणालियों की पूरी आपूर्ति उस समय सीमा के भीतर वितरित की जाएगी या नहीं.
हालांकि, यू.एस.-ताइवान बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष रूपर्ट हैमंड-चैम्बर्स ने सीएनए को बताया कि उनका मानना ​​है कि अगले 18 महीनों में डिलीवरी पूरी हो जाएगी. उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा, “इस समयसीमा में डिलीवरी के साथ कोई समस्या नहीं है.’
चीन ताइवान पर बढ़ा रहा दबावः चीन ताइवान के खिलाफ सैन्य दबाव बढ़ा रहा है, जिसमें पिछले महीने लाई चिंग-ते के राष्ट्रपति बनने के बाद द्वीप के आसपास युद्ध अभ्यास का आयोजन भी शामिल है. बता दें चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. बीजिंग का कहना है कि ताइवान पर नियंत्रण के लिए अगर ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा तो भी वह इससे पीछे नहीं हटेगा.

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