वक्फ बोर्ड की पावर के अब मोदी सरकार कतरेगी पर

नई दिल्ली (जीरो लाइन नेटवर्क) मोदी सरकार वक्फ बोर्ड में बड़े संशोधन करने जा रही है। केंद्र सरकार इसी सत्र में संसद में संशोधन विधेयक लाने पर विचार कर रही है। इससे पहले शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। बीजेपी (BJP) सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संशोधन बिल सरकार आज इसे संसद में पेश कर सकती है। संसद में वक्फ एक्ट संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी। बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन आधिपत्य घोषित भी नहीं कर सकेगा।
वक्फ बोर्ड की पावर को 1995 में नरसिम्हा राव की सरकार में बढ़ाया गया था। उस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए थे। सबसे पहली बार वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 में संसद से पारित किया गया था। इसके बाद 1995 में इसके अंदर बदलाव किए गए थे। 2013 में इसमें फिर संशोधन किए गए, जिसके बाद वक्फ को असीमित शक्ति और पूर्ण स्वायत्तता मिल गई। आम मुस्लिम, गरीब मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चे, शिया और बोहरा जैसे समुदाय लंबे समय से कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे। इन लोगों का कहना था कि वक्फ में आज आम मुसलमानों की जगह ही नहीं है। सिर्फ पावरफुल लोग हैं। वहीं रेवन्यू पर भी सवाल है।
वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली में संशोधन से संबंधित बिल सरकार इस हफ्ते संसद में ला सकती है। सरकार ने लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखा है। विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का भी प्रस्ताव है। इस विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसके तहत वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना है। बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का भी प्रस्ताव है। निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव है।
वक्फ बोर्ड को कब अधिकार मिले?
2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाया और वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दिए थे। अभी बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। तर्क यह दिया जाता है कि ये संपत्ति किसी जरूरतमंद मुस्लिम की भलाई के लिए होगी। हालांकि देखा गया कि प्रभावशाली लोग इन संपत्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई संपत्तियों को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद भी सामने आया। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है। यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था। एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है।
वक्फ बोर्ड कैसे काम करता है?
वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है. इसको दान का एक रूप माना जाता है। वक्फ मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है। संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे को हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं। 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था। सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की थी। 1995 में, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया। वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए। बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है. देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं।
क्या गड़बड़ियां सामने आ रहीं?
सरकार को पता चला है कि राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के व्यापक अधिकार मिले हैं, जिसकी वजह से अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी हो रही है सरकार ने संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया है। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है, लेकिन ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है. कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। अगर बोर्ड किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती। अब तक वक्फ प्रॉपर्टी की ना तो राज्य, ना केंद्र सरकार और ना अदालत जांच कर पाती है। मांग उठाई गई कि इस तरह की कमेटी होनी चाहिए जो रेवन्यू की जांच करे, वक्फ में ट्रांसेरेन्सी हो. वक्फ प्रॉपर्टी सिर्फ मुस्लिमों के भले के लिए होनी चाहिए।
वक्फ से जुड़ी शिकायतें:
WAMSI पोर्टल पर 58000 से ज्यादा शिकायतें
राज्य बोर्डों में 12700 से ज्यादा लंबित मामले
न्यायाधिकरणों में 18400 से ज्यादा मामले
SC/HC में 165 से ज्यादा मामले.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

you
PHP Code Snippets Powered By : XYZScripts.com