आज की शाम एक ऐसी शाम है, जहां चिड़िया को उसका घोंसला नजर नहीं आ रहा : रवीश कुमार।

दिल्ली ( जीरोलाइन )नडीटीवी चैनल के समूह संपादक और स्टार एंकर रहे रवीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी आरआरपीआर से प्रणय रॉय और राधिका रॉय पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, उसके बाद से ही रवीश के भी इस्तीफे के कयास लग रहे थे।
अब रवीश कुमार ने खुद अपने यूट्यूब चैनल पर इस्तीफे की जानकारी दी है और भावुक विदाई संबोधन में बीते दिनों को याद किया है। यही नहीं इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि अब वह यूट्यूब चैनल पर ही नजर आएंगे। रवीश कुमार ने इस दौरान तंज भरे अंदाज में कहा, ‘आज की शाम एक ऐसी शाम है, जहां चिड़िया को उसका घोंसला नजर नहीं आ रहा क्योंकि उसे कोई दूसरा ले गया है। लेकिन उस चिड़िया के पास थक जाने तक खुला आसमान जरूर है।’

रवीश कुमार ने अपने शुरुआती सफर से आज तक के दिनों को याद करते हुए कहा कि यह एनडीटीवी में ही संभव है कि एक चिट्ठी पढ़ने वाला समूह संपादक बनता है। लेकिन आज इस्तीफा दे रहा हूं। यदि दिन आना ही था, लेकिन यह दिन अच्छा तो नहीं लग रहा। एनडीटीवी प्राइम टाइम शो के जरिए लोकप्रिय हुए रवीश कुमार ने कहा, ‘भारत की पत्रकारिता में स्वर्ण युग तो कभी नहीं था, लेकिन इस तरह भस्म युग भी नहीं था। यह दिन भी आना ही था। गोदी मीडिया चैनलों की कमी नहीं है, लेकिन वे भी पत्रकारिता का दावा कर रहे हैं। गोदी मीडिया और सरकार भी पत्रकारिता का अपना अर्थ आप के ऊपर थोपना चाहते हैं। इस वक्त मैं अपने संस्थान को लेकर कुछ खास नहीं चाहता। भावुकता में आप तटस्थ नहीं हो सकते।’

रवीश कुमार ने कहा कि मैंने यहां 26 साल गुजारे हैं और इस यात्रा के अपने उतार-चढ़ाव भी हैं। अब ये यादें दोस्तों के बीच सुनने-सुनाने के काम आएंगी। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि मुझे सभी से कुछ न कुछ मिला है और मैं सबका ही आभारी हूं। बेटी विदा होती है तो वह दूर तक मायके को देखती रहती है। मेरी भी स्थिति ऐसी ही है, अभी विदा होने दीजिए। फिर कभी इसके बारे में विस्तार से बात करूंगा। एनडीटीवी ने एक चीज सिखाई कि टीवी का एक ही मतलब है, टीम। हालांकि एंकरों के स्टार बनने के दौर में यह परंपरा टूटती गई।

मौजूदा दौर की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए रवीश ने कहा कि मेरा विश्वास गहरा होता चला है कि तंत्र भले ही खत्म हो जाए, लेकिन जन बचा हुआ है। एक दिन यही जन इससे बेहतर तंत्र बना लेगा। कुछ लोगों को भरोसा है कि मीडिया और विपक्ष को खत्म करके जनता को खत्म किया जा सकेगा। लेकिन नफरत की गुलामी से बाहर आने का रास्ता आप ही बनाएंगे और आपको ही बनाना है। रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम शो को भी याद करते हुए कहा कि मेरे लिए हर सुबह 9 बजने का इंतजार शुरू हो जाता था। उन्होंने कहा कि आज भारत का मीडिया स्पेस बदल चुका है। उन युवाओं के बारे में सोचिए कि जो लोग लाखों रुपये लगाकर इसकी पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें काम पत्रकारिता का नहीं बल्कि दलाली करनी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

you
PHP Code Snippets Powered By : XYZScripts.com