स्वास्थ्य क्षेत्र में 2.5% जीडीपी आवंटन का लक्ष्य : जेपी नड्डा
नई दिल्ली (जीरो लाइन न्यूज़) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जीडीपी का ढाई प्रतिशत बजट स्वास्थ्य क्षेत्र में आवंटित करने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रही है और उसने पिछले दस साल में स्वास्थ्य बजट आवंटन में 164 प्रतिशत की वृद्धि की है। नड्डा ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पूरी ईमानदारी, पूरी ताकत के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है और दुनिया ने माना है कि भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में एक उदाहरण बन गया है। दुनिया के सारे लोग आयुष्मान भारत के मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के ये प्रयास स्वास्थ्य क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव छोड़ने वाले हैं। स्वास्थ्य मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ विपक्षी सांसदों के कटौती प्रस्तावों को अस्वीकृत करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान मांगों को पारित कर दिया। नड्डा ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट आवंटन कम होने के विपक्षी सदस्यों के दावों के संदर्भ में कहा, ‘‘वर्ष 2013-14 में स्वास्थ्य बजट 33,278 करोड़ रुपये का था जो आज 90,958 करोड़ रुपये का हो गया है।” उन्होंने कहा कि बजट में पिछले दस वर्ष में 164 प्रतिशत की यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को कितनी प्राथमिकता और कितना महत्व देती है।
नड्डा ने कहा कि सरकार ने 2017 की स्वास्थ्य नीति में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करने का लक्ष्य तय किया था और इस दिशा में सरकार तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बजट में जीडीपी का 1.9 प्रतिशत स्वास्थ्य के लिए आवंटित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राज्यों को ताकत दे रही है और कुल स्वास्थ्य बजट का 55 प्रतिशत एनएचएम के माध्यम से खर्च किया जाना है। उन्होंने कहा कि सरकार बजट बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य और चिकित्सा पर लोगों की जेब से होने वाले खर्च को भी कम करने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। नड्डा ने कहा कि इस दिशा में ही पीएम जन-आयुष्मान भारत योजना के तहत 12 करोड़ परिवारों के करीब 55 करोड़ लोग, यानी देश की लगभग 40 प्रतिशत गरीब आबादी पांच लाख रुपये सालाना स्वास्थ्य कवरेज का लाभ उठा रही है।
उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार बनते समय जब सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की बात होती थी तो लगता था कि भारत इस बारे में सोच ही नहीं रहा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम आयुष्मान भारत संचालित हो रहा है और इसका विस्तार किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। नड्डा ने कहा कि सरकार ने जहां तृतीयक (टर्शियरी) स्तर के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है, वहीं प्राथमिकी चिकित्सा को भी पूरी ताकत दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में 22 एम्स को मंजूरी दी गई जिनमें से 18 संचालित हैं और 4 निर्माणाधीन हैं। इस दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्य टोकाटोकी करते रहे।
नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले दस साल में देश में मेडिकल कॉलेजों के साथ यूजी और पीजी मेडिकल सीट की संख्या भी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि दुर्गम, आदिवासी आदि क्षेत्रों में चिकित्सकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र ने ‘यू कोट, वी पे’ योजना शुरू की है जिसमें चिकित्सकों की तरफ से वेतन ‘कोट’ किया जाएगा और केंद्र उसका भुगतान करेगा। नड्डा ने कहा कि इसके अलावा दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देने वाले एमबीबीएस चिकित्सकों को पीजी सीट में प्रवेश में भी प्राथमिकता दी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने देश में कैंसर जांच की सुविधा बढ़ाने, कैंसर की दवाओं के दाम कम करने, अन्य आवश्यक दवाओं के दाम नियंत्रित करने समेत केंद्र के अनेक प्रयास गिनाए।
नड्डा ने कहा कि सस्ती दवाएं सभी देशवासियों को उपलब्ध कराने के लिए 13 हजार जन औषधि केंद्र संचालित हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने अगले पांच साल में 35 हजार ऐसे केंद्र खोलने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार केवल घोषणा नहीं करती, बल्कि अंतिम छोर तक सेवाओं और चिकित्सा को पहुंचाने का प्रयास करती है तथा इस दौरान रास्ते में आने वाले सभी अवरोधों को दूर करती है।” उन्होंने कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती सरकारों को परोक्ष रूप से आड़े हाथ लेते हुए कहा कि देश में टिटनेस और टीबी जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाने में 20 से 25 साल लग गए, जापानी इन्सेफेलाइटिस के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाने में 100 साल लग गए, लेकिन कोराना महामारी आने के नौ महीने के अंदर राजग सरकार ने दो स्वदेशी टीके विकसित कर दिए।
नड्डा ने कहा कि देश में कोरोना टीकों की 220 करोड़ से अधिक खुराक लग चुकी हैं और यह दुनिया का सबसे बड़ा और दुनिया का सबसे तेज टीकाकरण कार्यक्रम है, जबकि कोई भी पश्चिमी देश अपनी 70 प्रतिशत से ज्यादा पात्र आबादी का टीकाकरण नहीं कर पाया। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी और कुछ अन्य सदस्यों के हंगामा करने पर नड्डा ने कहा, ‘‘मैं राजनीतिक दृष्टि से लाभ नहीं उठाना चाहता लेकिन पूछना चाहता हूं कि पश्चिम बंगाल सरकार डेंगू की रजिस्ट्री केंद्र सरकार से क्यों छिपाती है, क्यों केंद्र को नहीं भेजती।”