ED की ताकत में होगी कटौती? सुप्रीम कोर्ट करेगा अपने ही फैसले की समीक्षा पर विचार
नई दिल्ली (जीरो लाइन नेटवर्क) क्या खत्म होगी ED की अकूत ताकत? ये सवाल इसलिए क्योंकि जिस पीएमएलए एक्ट का सहारा लेकर ईडी ने कई नेताओं पर कार्रवाई की है, उसकी समीक्षा हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट अपने उस फैसले की समीक्षा पर पुनर्विचार करने जा रहा है, जिसमें ईडी को पीएमएलए एक्ट के तहत काफी शक्तियां दी गई थीं. बता दें कि इन्हीं कानूनों के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, हेमंत सोरेन, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव समेत कई प्रमुख नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ आज विजय मदनलाल चौधरी केस में 2022 में दिए अपने फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती, जमानत आदि से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखा था. जस्टिस सूर्यकांत, सीटी रविकुमार और उज्जल भुयान की पीठ दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई करेगी. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की ओर से मुख्य याचिका दाखिल की गई है. उन्होंने इन प्रावधानों को चुनौती दी है.
पहली बार लिस्टेड हो रही अर्जीः ध्यान देने वाली बात ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय एक अलग पीठ विजय मदनलाल चौधरी के मामले पर पुनर्विचार करने और इसे बड़ी पीठ को सौंपने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. तब ये याचिकाएं उस पीठ के सामने नहीं आई थीं. 25 अगस्त, 2022 को नोटिस जारी होने के बाद ये याचिकाएं बुधवार पहली बार सुनवाई के लिए लिस्टेड हो रही हैं.
ईडी को मिले हुए हैं ये अधिकारः जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ पीएमएलए एक्ट की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इस धारा के तहत ईडी के पास गवाहों को बुलाने, उनके बयान दर्ज करवाने और गलत जानकारी देने पर उनके खिलाफ मुकदमा तक चलाने की शक्ति मिली हुई है. 2002 के कानून के तहत ईडी को इतनी ताकत मिली हुई है कि वो कहीं भी छापा मार सकती है. किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. किसी की भी संपत्ति जब्त कर सकती है. अगर इन अधिकारों में कटौती की जाती है, तो एक बड़ा बदलाव होगा.