उत्तराखंड के हल्द्वानी में भारतीय रेलवे की जमीन का मामला सुप्रीम कोर्ट पंहुचा
Uttarakhand (zeroline:Bureau) हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होगी। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद स्थानीय प्रशासन हटाने की तैयारियों में उठाया गया है। मामला हटाओ अभियान 5 जनवरी 2023 से ही शुरू हो गया था, लेकिन मामले के सर्वोच्च न्यायालय में जाने से इसे रोक दिया गया। अब सब्ज्ञनी को उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार है। रेलवे की जमीन से अवैध कबजा हटाने से 50 हजार लोगों के प्रभावित होने की बात कही जा रही है।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की तस्वीरें 32 हेक्टेयर पर ले जाई गई हैं। जमीन पर बसती तक बस ठिठकी हुई है। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद इस जमीन को लेकर दावा ठोंका गया था, लेकिन उच न्याय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उरद्र, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्तरखंड पुलिस और स्थानीय प्रशासन अवैध कबजा हटाने की तैयारियों में जुट गया था। हालांकि, अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करते हुए फैसला सुनाया गया है। गोपनीयता हटाओ अभियान 5 जनवरी को शुरू किया गया था, जिसे अब 10 जनवरी 2023 तक के लिए टाल दिया गया है। रेलवे के अधिकारी बनभूलपुरा का मौका मुआयना भी कर चुके हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि 78 एकड़ क्षेत्र में पांच वार्ड हैं और लगभग 25,000 मतदाता हैं। बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों की संख्या 15,000 के करीब है। 20 दिसंबर के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पत्रों में समाचार पत्रों को नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें से लोगों को 9 जनवरी तक अपना घरेलू सामान हटाने का निर्देश दिया गया था। प्रशासन ने 10 एडम्स और 30 एसडीएम-रैंक के अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्देश दिया है।कई परिवार 1910 के बाद से बनभूलपुरा में गफूर डाला, ढोलक झील और इंद्रा नगर कॉलोनियों के ‘कब्जे वाले इलाके’ में रह रहे हैं। इस क्षेत्र में 4 सरकारी स्कूल, 10 निजी, एक बैंक, चार मंदिर, दो मजार, एक कब्रिस्तान और 10 मस्जिदें हैं। ये पिछले कुछ दशकों में बनी हुई हैं। बनभूलपुरा में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय भी है जो 100 साल से अधिक पुराना बताया जाता है।